Nov 5, 2023
विज्ञान के मुताबिक प्यार के दौरान हमारा शरीर इमरजेंसी की अवस्था में पहुंच जाता है।
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हमारा दिमाग न्यूरो ट्रांसमीटर को ऑन कर देता है, हमारी इंद्रियां चौकन्नी हो जाती हैं।
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ऐसा महसूस होने लगता है कि जजबातों की दिवाली चल रही हो।
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प्यार के पहले फेज हमारे खून में एड्रीनिल भर जाता है।
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यह वही हार्मोन है जब तनाव के समय भी सक्रिय होता है।
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इसी एड्रीनिल की वजह पेट में गुदगुदी होती है, मन अंदर ही अंदर खुशी से झूम उठता है।
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आंखों की पुतलियां बड़ी हो जाती हैं। हमारी धड़कन बढ़ जाती है
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जब दिमाग में ऑक्सीटोसीन मात्रा बढ़ती है तो सामने वाले पर भरोसा करते हैं।
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प्यार में एक दूसरे को छूने के ऑक्सीटोसीन हार्मोन एक दूसरे को छूने से एक्टिवेट होता है।
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प्यार के शुरुआती दिनों में सेरिटोनिन हार्मोन की मात्रा बढ़ती घटती रहती है।
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डोपामीन और सेरिटोनिन दोनों खुशी देने वाले हार्मोन हैं। इसलिए जैसे-जैसे नजदीकियां बढ़ती हैं प्यार बढ़ता रहता है।
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जुदाई के दौरान डोपामीन और सेरिटोनिन हार्मोन घट जाता है, इसलिए अपने प्यार को मिस करते रहते हैं।
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रिसर्च से पता चलता है कि प्यार के दौरान वो हिस्सा एक्टिव हो जाता है जो कामुकता के लिए जिम्मेदार है।
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कुदरत इन हार्मोन्स को इसलिए रचा ताकि हम एक पार्टनर पर ध्यान केंद्रित कर सकें। सृष्टि को आगे बढ़ाएं।
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