Jul 19, 2023
मगंल पांडेय ने भारत की आजादी की लड़ाई की नींव रखी थी।
Credit: BCCL
मगंल पांडेय को देश का पहला क्रांतिकारी भी कहा जाता है।
Credit: BCCL
आजादी की पहली लड़ाई 1857 के विद्रोह में मंगल पांडेय का अहम योगदान था।
Credit: BCCL
परिवार की आर्थिक हालत का खराब होने की वजह से अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए थे। मंगल पांडेय 22 साल की उम्र में बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34वीं बटालियन में शामिल हो गए।
Credit: BCCL
ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाहियों को एनफील्ड बंदूक दी गई। कारतूस को दातों से काटकर खोलना पड़ता था। सिपाहियों में अफवाह फैली कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनाई जाती है।
Credit: BCCL
मंगल पांडेय कट्टर ब्राह्मण थे। एक व्यक्ति ने पांडेय से कहा कि आपका धर्म भी तो कारतूस काटने से भ्रष्ट हो चुका है। मंगल पांडेय को यह बात काफी बुरी लगी और उन्होंने कारतूस ना काटने का पक्का इरादा कर लिया था।
Credit: BCCL
29 मार्च 1857 को कलकत्ता के बैरकपुर परेड मैदान में मंगल पांडेय ने कारतूस काटने से मना कर दिया था। साथियों से इसका विरोध करने को कहा, लेकिन किसी का साथ न मिलने पर उन्होंने खुद को गोली मारी लेकिन बच गए।
Credit: BCCL
कारतूस दांत से काटने से मना करने बाद में अंग्रेजी हूकूमत ने मंगल पांडेय पर कोर्ट मार्शल कर फांसी दे दी गई।
Credit: BCCL
मंगल पांडेय की फांसी का असर अंग्रेजों की सेना पर उलटा पड़ा और उनकी शहादत देशभर क्रांति बन एक आंदोलन का स्वरूप ले लिया और वे देश के पहले क्रांतिकारी कहलाए।
Credit: BCCL
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स