Oct 28, 2023
ISRO ने बड़ा खुलासा किया चंद्रयान से विक्रम लैंडर जब चांद की सतह पर उतरा, तो उसने करीब 2.06 टन लूनर एपिरेगोलिथ यानी चंद्रमा की धूल को उड़ाया था।
Credit: ISRO
इससे चंद्रमा पर एक शानदार इजेक्टा हेलो यानी चमकदार आभामंडल बन गया। लैंडिंग पॉइंट पर उठा यह धूल का गुबार करीब 108.4 वर्ग मीटर के हिस्से में फैल गया था।
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वैज्ञानिकों ने ऑर्बिटर हाई-रेजॉल्यूशन कैमरे से लैंडिंग के पहले और बाद की हाई-रिजॉल्यूशन पंचक्रोमैटिक इमेज की तुलना की। जिसमें यह इजेक्टा हेलो लैंडर के चारों ओर एक चमकीले पैच के रूप में दिखा।
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ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे इंस्ट्रूमेंट ऑफ लूनर सीस्मिक एक्टिविटी (ILSA) पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप को रिकॉर्ड किया। ये भूकंप 26 अगस्त को आया था।
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LIBS पेलोड ने 28 अगस्त को भेजे दूसरे ऑब्जर्वेशन में चांद पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी का भी पता लगाया था। सतह पर मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी हैं, हाइड्रोजन की खोज जारी है।
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27 अगस्त को रोवर प्रज्ञान के सामने 4 मीटर व्यास वाला क्रेटर यानी गड्ढा आ गया। रोवर ने रास्ता बदला था। इससे पहले भी प्रज्ञान करीब 100 मिमी गहरे एक छोटे क्रेटर से गुजरा था।
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चंद्रमा की सतह पर प्लाज्मा मिला। लैंडर विक्रम पर लगे रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव लोनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर-लैंगम्यूर प्रोब (RAMBHA-LP) ने चांद के दक्षिण पर प्लाज्मा खोजा है। हालांकि ये कम घना है।
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चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे (ChaSTE) पेलोड ने पता लगाया था कि चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है।
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भारत के चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चंद्रमा पर भेजा गया विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। इसके बाद रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा की सतह पर तापमान, खनिज से जुड़ी जानकारियां भेजी थीं।
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