Jul 13, 2023
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए तैयारी पूरी कर ली है।
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चंद्रयान-3 मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को प्रक्षेपण यान मार्क 3 (एलवीएम3) से दिन के 2:35 बजे प्रक्षेपित किया जाना है।
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वैज्ञानिकों को चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इन क्षेत्रों का पता लगाना काफी दिलचस्प होगा।
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चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में गहरे गड्ढों में पर्याप्त मात्रा में बर्फ के अणुओं के होने के संकेत हैं।
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भारत के 2008 के चंद्रयान -1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी होने का संकेत दिया था।
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चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में उपयोगी चट्टानें और मिट्टी मिल सकते हैं।
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चंद्रमा पर ज्यादा ठंड होने से यह साबित होता है कि इस इलाके में कोई सामान लंबे समय तक सही सलामत रह सकता है।
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चंद्रयान-3 के सफल होने प्रारंभिक सौर मंडल के बारे में सुराग मिल सकते हैं।
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चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास कई गड्ढों पर सूरज की रोशनी कभी नहीं पड़ती है।
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चंद्रमा की अंधेरे वाली जगह को पीएसआर कहते हैं। यहां पानी की खोज संभव है।
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चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत 615 करोड़ रुपए होने की संभावना है। वैज्ञानिकों पर 75 करोड़ खर्च आएगा।
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