Aug 21, 2023
इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की गति को धीमा किया जाता है।
Credit: ISRO
बस अब दो दिन के बाद ही चंद्रयान-3 चंद्रमा पर पर लैंड करने जा रहा है। इसका दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात पूरा हो चुका है।
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इसरो ने बताया कि अब लैंडर की इंटरनल जांच होगी और जब तक लैंडिंग साइट पर सूरज नहीं निकलता तब तक इंतजार किया जाएगा।
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23 अगस्त को शाम 6:04 बजे सबसे कम दूरी यानी 25 किलोमीटर की ऊंचाई से सॉफ्ट लैंड कराने की कोशिश की जाएगी।
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23 अगस्त की शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे।
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यही समय सबसे मुश्किल भरा साबित होने वाला है। पिछली बार भी लैंडिंग के दौरान विक्रम रोवर क्रैश हो गया था।
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चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने कुछ दिन पहले ही चंद्रमा के सतह की पहली शानदार तस्वीरें भेजी हैं।
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लैंडिंग के दौरान विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा।
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इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
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