अब सवाल यह है कि 6वीं सामूहिक विनाश के लिए क्या ऑक्सीजन की कमी से होगी। इस सवाल के जवाब में शोधकर्ता मानते हैं कि हवा और पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी और वो 6वीं सामूहिक विनाश के लिए जिम्मेदार होगा।
65 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर खत्म हुए और उसे 5वीं सामूहिक विनाश माना गया था। पानी के स्रोतों पर संकट उठ खड़ा हुआ था।
इंसानों की गतिविधियों की वजह से वनस्पतियों के विलुप्त होने की रफ्तार करीब 100 गुणा बढ़ गई है। इसे आप ऐसे कह सकते हैं कि 100 गुणा रफ्तार से जीव जंतुओं पर संकट है।
251 मिलियन साल पहले तीसरा प्रलय और 210 मिलियन साल पहले चौथा प्रलय आया। तीसरे प्रलय में ओजोन की परत फटने से यूवी रे प्रजातियों पर असर पड़ा। चौथे प्रलय में साइबेरिया के साथ दूसरे इलाकों में भी ज्वालामुखी फटे
करीब 378 मिलियन साल पहले दूसरा प्रलय आया जिसमें ज्वालामुखी सक्रिय होने लगे थे और ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया। करीब 70 फीसद प्रजातियां नष्ट हो गईं।
मानवीय गतिविधियों की वजह से धीरे धीरे ऑक्सीजन की कमी होने लगेगी और धरती पर जीव जंतुओं का बचे रह पाना मुश्किल हो जाएगा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि 6वें महाप्रलय के लिए इंसान जिम्मेदार होंगे। जिस तरह से प्रदूषण में इजाफा हो रहा है उसकी वजह से हवा में ऑक्सीजन की कमी और पानी जहर बन जाएगा।
ऑक्सीजन की कमी से लोग अस्पतालों की तरफ रुख करेंगे और उसकी वजह से अलग अलग तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
6वें महाप्रलय की तारीख क्या होगी इसे लेकर सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ शोधकर्ताओं के मुताबिक 2100 के करीब इस सर्वनाश हो सकता है।
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