बम-गोलों के बीच 'शेरशाह' को आ रहा था मजा, विक्रम बत्रा का अंदाज-ए-बयां था सबसे जुदा

Amit Mandal

Jul 26, 2023

कैप्टन विक्रम बत्रा की यादें

कारगिल युद्ध के मैदान में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा के साहस की कई कहानियां हैं। आज भी कैप्टन विक्रम बत्रा को याद करते ही हम भावुक हो जाते हैं।

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​हर अंदाज था निराला

कैप्टन विक्रम बत्रा का हर अंदाज निराला था, कारगिल में युद्ध के मैदान में बम-गोलों के बीच वो मुस्कुरा रहे थे। आज हम उनके कुछ किस्से आपको बता रहे हैं।

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यहां बम गोले चल रहे हैं, बहुत मजा आ रहा है

जब विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के मैदान में थे, तब उन्होंने अपनी मां को फोन किया और कहा, यहां बम गोले चल रहे हैं, बहुत मजा आ रहा है।

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ये दिल मांगे मोर

अपने मिशनों की सफलता के लिए कैप्टन बत्रा ने "ये दिल मांगे मोर" का नारा दिया था, ये स्लोगन इतना मशहूर हुआ कि एक कोल्ड ड्रिंक कंपनी ने इसे अपनाया।

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तुम्हारे बच्चे हैं, हट जाओ...

युद्ध के मैदान में उन्होंने घायल अधिकारी को यह कहते हुए किनारे कर दिया, "तुम्हारे बच्चे हैं, हट जाओ।"

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दुश्मन की नाक के नीचे से प्वाइंट 5140 छीना

19 जून 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुश्मन की नाक के नीचे से प्वाइंट 5140 छीन लिया था।

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परमवीर चक्र मिला

1999 के कारगिल संघर्ष में विक्रम बत्रा ने सर्वोच्च बलिदान किया था और उन्हें इस साहस के लिए भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र मिला था।

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आईएमए से पासआउट थे

1997 में आईएमए से डिग्री हासिल करने के बाद वह लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुए और जल्द ही उन्हें जम्मू-कश्मीर राइफल्स (13 जेएके रिफ) की 13वीं बटालियन में नियुक्त किया गया।

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​असंभव जीत को संभव बनाया

कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे जांबांजों के दम पर ही भारतीय सेना ने असंभव सी दिखने वाली जीत को संभव बना दिया।

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