Jul 2, 2023
गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने 1533 ईस्वी में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं। इसी दौरान उन्होंने हुमायूं से मदद मांगी थी।
Credit: social-media-wikipedia
1535 ईस्वी में बहादुर शाह की सेना ने फिर हमला किया और उसके तोपखाने के भयंकर आक्रमण से चितौड़ की दीवारें ढहने लगी और भयंकर युद्ध हुआ।
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रानी कर्णावती ने पुरुष वेष में घोड़े पर सवार होकर युद्ध का संचालन किया और अंत में चिर-परिचित अंदाज में 13 हजार क्षत्राणियों के साथ अग्निकुंड में जौहर किया।
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अपनी खूबसूरती के साथ-साथ रानी पद्मावती को उनके जौहर के लिए भी याद किया जाता है।
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रानी पद्मावती ने खिलजी की दासी बनने से इनकार करते हुए 16 हजार महिलाओं के साथ आग में कूदकर आत्मदाह कर लिया था।
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रानी दुर्गावती मुस्लिम शासकों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष करने वाली पहली महिला रानी थी।
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राजा कीर्तिसिंह चंदेल से शादी करने के 4 साल बाद ही राजा की मौत हो गई जिसके बाद उन्होंने अकेले ही पूरा राज्य संभाला।
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राजा गंगाधर राव की मौत के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लिया था।
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18 जून 1858 को ग्वालियर का अंतिम युद्ध हुआ और रानी ने अपनी सेना का कुशल नेतृत्व किया। वे घायल हो गईं और उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
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रानी चेनम्मा का जन्म 1778 में कर्नाटक के बेलगाम में एक छोटे से गांव ककाटी में हुआ था। वह कित्तूर को अंग्रेजों से छुड़ाने के प्रयास में लगी रहीं और कई युद्ध लडे़। 1829 में उनकी मृत्यु हुई।
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