Jan 17, 2024
आयुर्वेद में अलग-अलग रोगों के लिए कई तरीके के उपचार आजमाए जाते हैं, जिनमें एक नस्य भी है। आयुर्वेद में इलाज का ये तरीका ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर में भी बहुत मदद करता है।
Credit: canva
नस्य तकनीक ऑटो इम्यून थायराइड, रुमेटीइड आर्थराइटिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस आदि से पीड़ित लोगों के लिए रामबाण है।
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अणु तेल एक आयुर्वेदिक तेल है, जिसका उपयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह पर गाय के घी के बदले नस्य तकनीक के लिए किया जा सकता है।
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चलिए जानते हैं कि नस्य तकनीक क्या है। इसके क्या फायदे हैं और इसे कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अगर आप हमेशा तनावग्रस्त महसूस करते हैं, बार-बार सिरदर्द होता है, शरीर में गर्मी होती है, चीजों को ध्यान से करने में कठिनाई होती है, बालों की समस्या होती है, दृष्टि कमजोर होती है, सुनने में दिक्कत होती है और अनिद्रा या नींद की समस्या है, तो आप इस क्रिया को अपना सकते हैं।
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इस तकनीक को करने के लिए सोते समय दोनों नाक में गाय के घी की केवल 2 बूंदें डालने का प्रयास करें। घी तरल रूप में, गुनगुना होना चाहिए।
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रुई, ड्रॉपर या अपनी छोटी उंगली की मदद से भी घी डाल सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, ये तकनीक कई तरह की बीमारी से राहत दिलाती है और आपको शारीरिक और मानसिक रूप से आराम देती है।
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अगर आपको पित्त की ज्यादा समस्या रहती है या रोजाना सिरदर्द रहता है, तो आपको सोने से पहले दोनों नथुनों में 2 बूंदें डालने से यह जादू की तरह काम करता है।
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नस्य तकनीक एक ऐसा आयुर्वेदिक नुस्खा है जिससे आपका दिमाग शांत हो सकता है, अच्छी नींद आ सकती है और सिरदर्द से भी आराम मिलता है।
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