Dec 10, 2022
By: ललित रायआम तौर जब ज्यादा छींक आती है तो उसे बीमारी के तौर पर देखा जाता है। छींक आने के पीछे की वजह एलर्जी या साइनस की दिक्कत हो सकती है।
कोल्ड की वजह से भी ज्यादा छींक आती है। छींक का किसी खास एज ग्रुप से नाता नहीं है। छींक किसी भी एज ग्रुप में जरूरत से ज्यादा आ सकती है। नाक के ब्लॉक होने और साइनस की वजह से छींक आती है।
नाक में खुजली लगना,सिरदर्द,भारीपन.चिड़चिड़ापन,सूंघने की शक्ति कम होना,आंखों का लाल होना,नाक से पानी बहना खास लक्षण हैं।
भौहों को तोड़ने से छींक ज्यादा आ सकती है। प्लकिंग की वजह से चेहरे की एक नस को बंद हो जाती है। यह नस नासिका मार्ग से जुड़ी होती है और उसकी वजह से भौहें तोड़ने पर छींक आनेलगती है।
स्वास्थ्य के लिए छींक को बेहतर माना जाता है। छींकने की वजह से बैक्टीरिया और वायरस शरीर से बाहर निकल जाते हैं। बताया जाता है कि छींकने की वजह से करीब 1 लाख से अधिक जीवाणु शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
छींक आने पर आप काली मिर्च, आंवला, अदरक और लहुसन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनके उपयोग से छींक को रोकने में मदद मिलती है।
आम तौर पर छींक के लिए एक नहीं बल्कि कई वजहें जिम्मेदार होती हैं। लेकिन साइनस को अहम माना जाता है। साइनस के मरीजों को अलग अलग तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन छींक की दिक्कत आम है।
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