कौन थे तुर्रम खां, जिसके नाम पर चलते हैं ढेरों मुहावरे

Neelaksh Singh

Oct 20, 2024

तुर्रम खां उर्फ तजुर्बे खान

तुर्रम खां यानी तजुर्बे खान देश के उन वीर शहीदों में से एक थे, जिन्हें कम लोग ही जानते हैं। ये बात है 1857 ​क्रांति के समय की, जब एक तरफ मेरठ से मंगल पांडे आगे बढ़कर अंग्रेजों के खिलाफ खड़े थे।

Credit: canva-and-tnn

अंग्रेजों के खिलाफ खुला मोर्चा

उसी क्रांति के दौर में देशभर में कई शहर से स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिनमें से एक हैदराबाद के तुर्रम खां यानी तजुर्बे खान भी थे।

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1857 की क्रांति

1857 की क्रांति में हैदराबाद के निजामों ने अंग्रेजों का साथ देने का फैसला किया, और 500 से 600 लोगों की सेना को दिल्ली भेजने का हुक्म दिया, ताकि वे सिपाही अंग्रेजों की तरफ से लड़ सकें।

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चीता खान

य​ह जिम्मा दिया गया चीता खान नाम के अफसर को, लेकिन उन्होंने दिल्ली जाने और देशवासियों के खिलाफ लड़ने से इंकार कर दिया, जिसके बाद अंग्रेजों ने चीता खान को रेजीडेंसी हाउस में कैद कर लिया।

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तजुर्बे खान

निजाम की सेना के एक और जांबाज तजुर्बे खान ने चीता खान को छुड़वाने की सोची, लेकिन अंग्रेजों पर हमला करना आसान नहीं था, इसलिए उन्होंने मौलवी अलाउद्दीन की मदद ली।

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रेजीडेंसी हाउस पर हमला

इसके बाद तजुर्बे खान ने 500 से 600 लोगों की सेना लेकर रेजीडेंसी हाउस पर अचानक रात में हमला कर दिया, जो कि उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी बात थी।

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तलवारों से किया तोपों व बंदूकों का सामना

हालांकि तजुर्बे खान के हमले की खबर पहले से किसी ने अंग्रेजों को दे दी थी, इधर तजुर्बे खान अपनी सेना के साथ ब्रिटिशर्स पर हमला बोल देते हैं, लेकिन इनकी सेना के पास केवल तलवारें ही थीं।

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17 जुलाई 1857 का इतिहास

कहते हैं ये लड़ाई 17 जुलाई 1857 को लड़ी गई, इसमें तजुर्बे खान की तलवार अंग्रेजी तोपों और बंदूकों से ज्यादा दमदार ​साबित हो रही थी, लेकिन तजुर्बे खान की बाकी सेना इतनी शूरवीर नहीं थी।

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किसने जीता युद्ध

रातभर चले इस युद्ध में अंग्रेज अपने आधुनिक ​​हथियार के दम पर जीत गए, लेकिन तजुर्बे खान को नहीं पकड़ पाए। इसके बाद निजाम के एक मंत्री ने अंग्रेजों को तजुर्बे खान का पता बता दिया, और उसे पकड़ लिया गया।

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नहीं बताया साथियों का नाम

हैदराबाद कोर्ट में तजुर्बे खान पर सुनवाई चली, उनसे उनके बाकी साथियों का पता पूछा गया, लेकिन उन्होंने नहीं बताया, जिसके बाद उन्हें काला पानी की सजा दी गई।

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तजुर्बे खान की मौत

अंडमान जाने से पहले ही तजुर्बे खान अंग्रेजों की गिरफ्त से भाग निकले, उसके बाद उन पर ईनाम रखा गया, उन्हें बहुत तेजी से ढूना जाने लगा, इस दौरान एक ताल्लुकदार मिर्जा कुर्बान अली बेग ने एक जंगल में तजुर्बे खान को ढून कर मार दिया।

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