May 4, 2023
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में गोरखपुर में मत का प्रयोग किया।
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नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में प्रतिनिधि चुनने के लिए लखनऊ सहित 37 जिलों में मतदान हो रहा है।
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मत का प्रयोग करने वाले वोटर्स की उंगली पर एक स्याही लगाई जाती है जो अमिट होती है। महीनों तक इस स्याही का निशान उंगली पर रहता है।
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कर्नाटक के मैसूर में वाडियार राजवंश का राज था। महाराजा कृष्णराज वाडियार आजादी से पहले यहां के शासक थे। वाडियार ने साल 1937 में पेंट और वार्निश की एक फैक्ट्री खोली, जिसका नाम मैसूर लैक एंड पेंट्स रखा। इसी फैक्ट्री में चुनावी स्याही बनती है।
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देश के आजाद होने पर यह फैक्ट्री कर्नाटक सरकार के पास चली गई। इसके बाद साल 1989 में इस फैक्ट्री का नाम मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (Mysore Paints and Varnish Limited, MPVL) रख दिया गया।
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1951-52 में मत प्रयोग में धांधली के बाद चुनाव आयोग ने नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया से ऐसी स्याही बनाने को कहा जो आसानी से ना मिटे। तब एनपीएल ने यह स्याही बनाने का ऑर्डर मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी को दिया।
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साल 1962 में हुए चुनावों में पहली बार एमपीवीएल कंपनी द्वारा बनाई अमिट स्याही का इस्तेमाल किया गया। यह देश की एक मात्र संस्था है जो चुनावी स्याही तैयार करती है।
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कुछ जानकारों के मुताबिक इस स्याही में सिल्वर नाइट्रेट का प्रयोग होता है। हालांकि नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया और मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड ने इस स्याही के फॉर्मूले को कभी सार्वजनिक नहीं किया।
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दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, मलेशिया, मालदीव, कंबोडिया, अफगानिस्तान, तुर्की, नाइजीरिया, नेपाल, घाना, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी, टोगो और सिएरा लियोन जैसे देशों में कंपनी स्याही सप्लाई करती है।
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