Sep 18, 2023
भारतीय करेंसी छापने की जिम्मेदारी भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की है। भारत में वर्तमान में चार नोट छापने की प्रेस है।
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भारतीय नोट यानी करेंसी नासिक, महाराष्ट्र के अलावा और तीन जगह भी छपते हैं, जिसमें से 2000 की नोट मैसूर वाले प्रिंटिंग प्रेस में छपते हैं।
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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद और कर्नाटक के मैसूर में दो मिलें उस कागज का डिजाइन, उत्पादन और आपूर्ति करती हैं जिस पर करेंसी प्रिंट होती है।
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भारत का पहला नोट ब्रिटेन सरकार ने यूके की एक कंपनी से छपवाया था। 1920 तक यह नोट यूके में ही छपते थे।
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लेकिन 1926 में ब्रिटिश सरकार ने महाराष्ट्र के नासिक में पहली प्रिंटिंग प्रेस शुरू की। हालांकि उस समय सारी नोट छपाई यहीं नहीं होती थी, कुछ समय तक यूके से नोट छपकर आते रहे।
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फिर 1975 में मध्य प्रदेश के देवास में देश की दूसरी प्रिंटिंग प्रेस शुरू की गई। लेकिन अभी भी भारत की आबादी के हिसाब से प्रिंटिंग प्रेस की कमी महसूस हो रही थी।
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इसके बाद 1999 में भारत के मैसूर में और 2000 में पश्चिम बंगाल में भी नोट की प्रिंटिंग शुरू की गई। आज भी भारत के नोट इन्हीं चार जगह पर छपते हैं।
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भारतीय करेंसी में लगने वाली इंक को स्विटरलैंड की कंपनी SICPA से मंगाया जाता है।
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बता दें भारत के होशंगाबाद में पेपर मिल है, जहां नोट का एक हिस्सा तैयार होता है, लेकिन करेंसी का सारा कागज देश में उपलब्ध नहीं होता है, इसे बाहर (जापान, यूके) से मंगवाया जाता है।
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