Sep 20, 2024
दरअसल भारत में लोकसभा और विधानसभा दो अलग-अलग लेजिस्लेटिव बॉडी हैं, जिनके अधिकार क्षेत्र और कार्य अलग-अलग हैं।
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लोकसभा भारतीय संसद का निचला सदन है, जो पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि विधानसभा विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य विधानमंडल का निचला सदन है।
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लोकसभा को 'हाउस ऑफ द पीपल' भी कहा जाता है। यह दो सदनीय होता है। विधानसभा को लेजिस्लेटिव असेंबली भी कहा जाता है। प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की अपनी विधानसभा होती है।
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भारत के संविधान के अनुसार, लोकसभा में कुल 552 सीटें हैं। भारतीय संविधान के अनुसार, विधानसभा में कम से कम 60 सदस्य और अधिकतम 500 सदस्य होने चाहिए।
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लोकसभा और विधानसभा दोनों की अवधि पांच वर्ष की होती है। लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं, जबकि विधानसभा में ऐसा नहीं होता है।
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लोकसभा के सदस्यों को हर पांच साल में (या इससे पहले भंग होने पर) चुनावों के माध्यम से देशभर के आम लोगों द्वारा चुना जाता है।
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विधानसभा के सदस्यों को हर पांच साल में (या इससे पहले भंग होने पर) चुनावों के माध्यम से केवल उसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के आम लोगों द्वारा चुना जाता है।
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लोकसभा संसद का निचला सदन है, जबकि विधानसभा राज्य विधानमंडल का निचला सदन है। लोकसभा के पास विधानसभा से अधिक शक्तियां हैं, क्योंकि वह राष्ट्रीय मुद्दों पर काम करती है।
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लोकसभा को राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है, जबकि विधानसभा को राज्यपाल द्वारा भंग किया जा सकता है। दोनों ही सभा में एक अध्यक्ष भी होता है।
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