Mar 26, 2024
दुनियाभर के शिक्षा विभागों द्वारा किताबों में बदलाव कर दिया गया है और पिछले कई सालों से प्लूटो को प्लेनेट की श्रेणी से नहीं पढ़ाया जाता है।
Credit: canva
1978 में प्लूटो के आकार की गणना हुई, और पाया गया कि प्लूटो का चंद्रमा पृथ्वी के चंद्रमा से छोटा है। इस पर और रिसर्च होने लगी जिसमें कई नई जानकारी निकलकर सामने आने लगी।
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अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने निर्धारित किया कि हमारे सोलर सिस्टम में प्लेनेट केवल उसे माना जाएगा, जो तीन वर्गीकरण में खरा उतरेगा।
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पहला वह सूर्य के कक्ष में हो, दूसरा उसका आकार अन्य ग्रहों की तरह गोलाकार हो और तीसरा उस ग्रह का आर्बिट आसपास के वस्तुओं जैसे छोटे पिंडो या एस्टेरॉयड से साफ हो।
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नब्बे की दशक में जाना गया कि प्लूटो तीसरा क्राइटेरिया पूरा नहीं करता है, यानी इसके आर्बिट की आसपास की जगह साफ नहीं है। इसलिए इसे प्लानेट नहीं Dward Planet यानी बौना ग्रह नाम दिया दिया।
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प्लूटो की खोज 1930 में की गई थी, तब खगोलविदों ने इसे हमारे सोलर सिस्टम का नौवां प्लानेट मान लिया था। लेकिन जैसे जैसे रिसर्च होते गई इसे ग्रह की श्रेणी से बाहर कर दिया गया।
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हालांकि कई अन्य ग्रहों की भी खोज हुई, जिसका चंद्रमा पृथ्वी के चंद्रमा से छोटा है, और वे भी तीनों क्राइटेरिया को फॉलो नहीं करते हैं।
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हमारे सोलर सिस्टम में 9 नहीं 8 प्लानेट है, इसके अलावा 5 बौने ग्रह भी शामिल हैं, जिनके नाम Ceres, Pluto, Haumea, Makemake और Eris है।
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साल 2005 तक प्लूटो को भी ग्रह माना जाता था। किताबों में भी आपने 9 ग्रह के बारे में पढ़ा होगा। हालांकि अब 9 नहीं 8 ग्रह है, क्योंकि प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से हटा दिया गया।
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