Sep 19, 2024
'राष्ट्रकवि' के रूप में समादृत और लोकप्रिय लेखक रामधारी सिंह दिनकर के विचार छात्रों को ऊर्जा देने का काम करते हैं।
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अस्तमान सूर्य होने को मत रुको। चीजें तुम्हें छोड़ने लगें, उससे पहले तुम्हीं उन्हें छोड़ दो।
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स्वार्थ हर तरह की भाषा बोलता है, हर तरह की भूमिका अदा करता है, यहां तक कि नि:स्वार्थता की भाषा भी नहीं छोड़ता।
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विद्वानों और लेखकों के सामने सरलता सबसे बड़ी समस्या होती है।
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जैसे सभी नदियां समुद्र में मिलती हैं, उसी प्रकार सभी गुण अंतत: स्वार्थ में विलीन हो जाते हैं।
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मित्रों का अविश्वास करना बुरा है, उनसे छला जाना कम बुरा है।
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अभिनंदन लेने से मना करना, उसे दोबारा मांगने की तैयारी है।
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सतत चिंताशील व्यक्ति का कोई मित्र नहीं बनता।
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सौंदर्य के तूफान में वृद्धि को राह नहीं मिलती। वह खो जाती है, भटक जाती है। यह पुरुष की चिरंतन वेदना है।
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