Mar 28, 2024
ऐसी ही एक खबर आई है, अब वाराणसी परिषदीय स्कूलों के बच्चे पढ़ाई के साथ अपना कौशल भी चमका पाएंगे।
Credit: canva
महानिदेशालय स्कूल शिक्षा ने ‘लर्निंग बाय डूइंग’ योजना के तहत स्कूलों को कौशल केंद्र या स्किल हब के रूप में बदलने का निर्णय लिया है।
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चूंकि यह निर्णय बड़ा है, और इससे सैकड़ो हजारों बच्चों को लाभ होने की संभावना है, ऐसे में इस कार्य को कई चरण में पूरा किया जाएगा।
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पहले चरण में प्रदेश के 1772 स्कूलों के साथ बनारस के 18 उच्च प्राथमिक और कंपोजिट स्कूलों का चयन किया गया है।
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चयनित स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे अपनी रुचि अनुसार मरम्मत, रंगाई-पुताई, बिजली का काम और बागवानी हुनर जान व सीख पाएंगे।
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लर्निंग बाय डूइंग के तहत, इन स्कूलों को जरूरी उपकरण और सामान एजेंसी की तरफ से मुहैया कराया जाएगा।
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अन्य सामान की जरूरत पड़ने पर उसे खरीदने के लिए विद्यालय प्रबंध समिति और प्रधानाध्यापकों को कंपोजिट ग्रांट की राशि खर्च करने के निर्देश दिए गए हैं।
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बच्चों के कौशल को चार भागों में बांटा गया है। इनमें इंजीनियरिंग ऐंड वर्कशॉप, एनर्जी ऐंड एन्वॉयरमेंट, एग्रीकल्चर नर्सरी ऐंड गार्डेनिंग और होम ऐंड हेल्थ शामिल हैं।
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योजना के तहत चुने गए स्कूलों की एक कक्षा में ‘लर्निंग बाय डूइंग लैब’ की स्थापना भी की जाएगी।
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