Oct 08, 2025
आज हिन्दी कथा-उपन्यास की दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हस्ताक्षर मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि है।
Credit: Instagram/Pixabay
मुंशी प्रेमचंद्र के विचार युवाओं और छात्रों को प्रेरणा देने का काम करते हैं।
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वह कहते थे- आशा उत्साह की जननी है। आशा में तेज है, बल है, जीवन है। आशा ही संसार की संचालक शक्ति है।
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छात्रों के लिए उन्होंने कहा- निराशा संभव को अससंभव बना देती है।
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उनकी विचार था- सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम ही जिंदगी हैं।
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छात्रों को समाज की सलाह देते हुए वह कहते थे- अन्याय होने पर चुप रहना, अन्याय करने के ही समान है।
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आलोचना और दूसरों की बुराइयां करने में बहुत फर्क है। आलोचना करीब लाती है और बुराई दूर करती है।
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हिंदी कहानी के प्रतीक-पुरुष मुंशी प्रेमचंद ने अपनी समावेशी साहित्यिक दृष्टि द्वारा समाज के हर वर्ग को लेखनी में उतारा।
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गोदान, गबन, निर्मला, कर्मभूमि, मानसरोवर जैसी किताबें देने वाले प्रेमचंद न सिर्फ़ हिंदी बल्कि उर्दू में भी लेखन किया करते थे।
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