Jan 25, 2025
साक्षरता न तो शिक्षा का अंत है और न ही इसकी शुरुआत।
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आध्यात्मिक प्रशिक्षण से मेरा तात्पर्य हृदय की शिक्षा से है।
वह शिक्षा जो हमें अच्छे और बुरे में भेद करना, एक को आत्मसात करना और दूसरे को त्यागना नहीं सिखाती, वह मिथ्या है।
व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है।
मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन।
जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
काम की अधिकता नहीं, अनियमितता व्यक्ति को मार डालती है।
ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है।
दुनिया में जो भी बदलाव आप देखना चाहते हैं, उसकी शुरुआत खुद से करें।
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