Jul 16, 2023
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रित देश भारत में न्यायपालिका को संविधान का अभिन्न अंग माना जाता है।
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इस न्यायिक व्यवस्था में जिले स्तर पर न्याय देने का कार्य जज और मजिस्ट्रेट का होता है।
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अक्सर लोग जज और मजिस्ट्रेट को एक ही समझ बैठते हैं। लेकिन आपको बता दें दोनों के कार्य व अधिकार में अलग अलग हैं।
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बता दें मजिस्ट्रेट सिर्फ एक जिले के कानून व्यवस्था को संभालता है। मजिस्ट्रेट फांसी या उम्रकैद की सजा नहीं सुना सकता। मजिस्ट्रेट का पद कई लेवल में विभाजित होता है, जिसमें सबसे बड़ा पद सीजेएम यानी चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट का होता है।
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जज की नियुक्ति उच्च न्यायालय द्वारा की जाती है। इनके पद व कार्यों को रैंक के आधार पर विभाजित किया जाता है। पहला जिला जज और दूसरा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज होता है।
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जज न्यायिक व्यवस्था को संभालता है। जज को उम्रकैद व फांसी की सजा सुनाने का अधिकार होता है।
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जब जज सिविल मामले देखते हैं तो उन्हें डिस्ट्रिक्ट जज कहा जाता है। लेकिन वही जज जब क्रिमिनल यानी फौजदारी के मामलों का निपटारा करते हैं तो उन्हें सेशन जज कहा जाता है।
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बता दें जज मजिस्ट्रेट से ज्यादा पावरफुल होता है।
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वहीं सैलरी और सुविधाओं की बात करें तो जज और मजिस्ट्रेट की सैलरी लगभग बराबर होती हैं। हालांकि जज को मजिस्ट्रेट की तुलना में अधिक सुरक्षा और सुविधाएं दी जाती हैं।
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