कभी नहीं गए स्कूल, नेत्रहीन होकर भी 22 भाषाओं के ज्ञाता - जानें कौन हैं रामभद्राचार्य

Aditya Singh

Jan 12, 2024

बचपन से ही रामचरितमानस कंठस्थ

एक बालक जिसने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। इतना ही नहीं महज 7 साल की उम्र में 60 दिनों के भीतर श्रीरामचरितमानस के 10,900 चौपाइयां और छंद कंठस्थ कर लिए।

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​जगदगुरु श्रीरामभद्राचार्य

जी हां यहां हम कोई और नहीं बल्कि जगदगुरु श्रीरामभद्राचार्य की।

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क्या है वास्तविक नाम

रामभद्राचार्य जी का वास्तविक नाम गिरिधर मिश्र है।

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आप सब वाकिफ

आचार्य रामभद्राचार्य जी से आप सभी परिचित होंगे।

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कब हुआ जन्म

जगदगुरु का जन्म 14 जनवरी 1950 को चित्रकूट में हुआ।

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बचपन से नेत्रहीन

रामभद्राचार्य जी ने बीमारी के चलते जन्म के 2 माह बाद ही अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो दी थी।

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नहीं गए स्कूल

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रामभद्राचार्य जी कभी स्कूल नहीं गए।

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22 भाषाओं के ज्ञाता

लेकिन दिव्य दृष्टि से उन्होंने करीब 80 से अधिक ग्रंथों की रचना की। वह करीब 22 से अधिक भाषाओं के ज्ञाता हैं।

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पद्मभूषण से सम्मानित

साल 2015 में उन्हें भारत सरकार द्वरा पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।

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