Jul 21, 2023
हरियाणा के नसरुल्लागढ़ की रहने वाली वंदना सिंह चौहान के परिवार के लोग नहीं चाहते थे कि वह बाहर निकलकर पढ़ाई-लिखाई करें लेकिन उन्हें आईएएस बनने की जिद थी।
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4 अप्रैल, 1989 को जन्मीं वंदना के परिवार में लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था। गांव में कोई अच्छा स्कूल नहीं था, जिसके कारण उनके भाईयों को पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया था।
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वंदन ने पिता से कहा कि उन्हें भी बाहर भेजें लेकिन पिता टालते रहे। तब उन्होंने पिता से कह दिया कि मैं लड़की हूं, इसलिए मुझे पढ़ने नहीं भेज रहे।
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बेटी की यह बात पिता को इस कदर चुभी कि उन्होंने वंदना का एडमिशन मुरादाबाद के एक गुरुकुल में करवा दिया।
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वंदना को बाहर भेजने के फैसले का उनके दादा, ताऊ और चाचा समेत परिवार के सभी सदस्यों ने विरोध किया।
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वंदना परिवार के खिलाफ जाकर पढ़ीं और यूपीएससी में 8वीं रैंक लाकर इतिहास रच दिया।
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हिंदी मीडियम से पढ़ी वंदना ने साल 2012 में यूपीएससी में आठवीं रैंक पाई थी!
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12वीं की परीक्षा के बाद वंदना ने घर पर रहकर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 12वीं की पढ़ाई के बाद वंदना ने वकालत की पढ़ाई की!
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वंदना ने सेल्फ स्टडी से मुकाम पाया। वो दिन में 18-20 घंटों तक खुद को कमरे में बंद करके सिर्फ़ पढ़ाई करती।
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