Oct 2, 2024
पृथ्वी पर 71 प्रतिशत पानी का 97% हिस्सा महासागर के रूप में मौजूद है, जिसे हम समुद्र भी कहते हैं।
Credit: Canva-AI
usbr.gov के अनुसार, पृथ्वी का 3% जल ताजा यानी फ्रेश है, जिसमें से 2.5% ताजा जल तक आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता है, क्योंकि यह ग्लेशियरों, ध्रुवीय बर्फ की चोटियों, वायुमंडल में बंद है।
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बहुत सी मात्रा में जल पृथ्वी की सतह के इतना अधिक नीचे है कि किफायती लागत पर भी निकाला नहीं जा सकता। ऐसे में पृथ्वी का 0.5% जल ताजा जल के रूप में उपलब्ध है।
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अब रही बात Mahasagar ka nirman kaise hua, धरती पर पानी कहां से आया या महासागरों का निर्माण कैसे हुआ? तो यहां जानें
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हमारी पृथ्वी 4.5 अरब साल पहले बनी, शुरू में बस यह आग का गोला थी, किसी पिघले हुए लावा जैसी दिखती थी।
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इस आग के गोले में ज्वालामुखी विस्फोट होना कॉमन था, लेकिन हर ज्वालामुखी बिस्फोट से पृथ्वी के गर्भ से मेटल, गैसेज (ऑक्सीजन, हाइड्रोजन इत्यादि) बाहर निकलते थे।
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लाखों सालों के बाद हिम युग की शुरुआत हुई, सब कुछ ठंठा हो गया, जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी होती गई, जल वाष्प संघनित होकर बरसता रहा, ऐसे एक दो साल नहीं बल्कि लाखों साल हुआ।
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पृथ्वी पर इतनी अधिक मात्रा में पानी, समुद्र या महासागर होने का एक और बड़ा कारण उल्का पिंड है, जो अपने साथ बर्फ की चट्टाने लाया।
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एक उल्का पिंड का नाम था - कार्बोनेसियस चोंड्राइट, जिसमें बहुत सारा पानी था। वैज्ञानिकों ने पाया है कि कार्बोनेसियस चोंड्राइट (Carbonaceous chondrites) में मौजूद पानी पृथ्वी पर मौजूद पानी से मेल खाता है।
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पृथ्वी की जितनी भी निचली जमीन थी, वहां पानी भरता गया और पृथ्वी की ग्रेविटी की वजह से सारा पानी उसी जगह पर मौजूद है।
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sciencedirect.com के अनुसार, कार्बनयुक्त कोन्ड्राइट आंतरिक सौरमंडल में सबसे अधिक जल-समृद्ध पदार्थों में से हैं।
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