Jun 10, 2024
अशोक ने अपने विशाल साम्राज्य के विभिन्न स्थानों पर धर्म प्रशासन संबंधी महत्वपूर्ण सूचनाओं का विवरण अंकित करवाया था।
Credit: canva
वर्ष 1837 में कैप्टन बर्ट ने मौर्य सम्राट अशोक के भाबरू शिलालेख की खोज की थी।
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क्या आप जानते हैं कंधार यूनानी शिलालेख को छोड़कर अन्य सभी शिलालेख बड़ी चटटानों पर लिखे गए थे। जबकि कंधार यूनानी शिलालेख को पत्थर की पट्टिका पर है।
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अशोक का सातवां अभिलेख (भाब्रु शिलालेख,जयपुर) सबसे लंबा है।
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अशोक का पहला ज्ञात शिलालेख, कंधार द्विभाषी शिलालेख है, जो कि ग्रीक और अरामी भाषा में है। इसे 260 ईसा पूर्व में लिखा गया था।
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junagadh.nic.in के अनुसार, अशोक के शिलालेख 250 ईसा पूर्व के माने जाते हैं, जहाँ गिरनार पर्वत की पहाड़ियों के मार्ग पर अशोक के लगभग 14 शिलालेख स्थित हैं।
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जब अशोक (मौर्य साम्राज्य के सम्राट) ने बौद्ध धर्म अपना लिया और हिंसा का त्याग कर दिया, तो वे भारत के सबसे सम्मानित शासकों में से एक बनने की राह पर आ गए।
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उन्होंने पूरे भारत में (पश्चिम में वर्तमान अफगानिस्तान में कंधार से लेकर पूर्व में आधुनिक बांग्लादेश और दक्षिण में आंध्र प्रदेश तक) पत्थर पर शिलालेख खुदवाए।
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इन शिलालेख में धार्मिक जीवन जीने, दूसरों का सम्मान करने और न्यायपूर्ण समाज बनाने के उपदेश दिए गए हैं। शिलालेख में तीन भाषााओं (प्राकृत, अरामी और ग्रीक) और दो लिपियों का प्रयोग हुआ था।
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