Jun 27, 2024
सूर्य की गर्मी की वजह से नदियों, समुद्र या तालाबों का पानी भाप बनकर उड़ जाता है।
Credit: TNN-Canva
यह प्रक्रिया इतनी सूक्ष्म होती है कि हमें आंखों से स्पष्ट दिखाई नहीं देती है, लेकिन खास कैमरे से देखने पर हमें गैसेज ऊपर की ओर उठती दिखाई दे सकती हैं।
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वाष्पयुक्त गर्म हवा इतनी हल्की होती है कि यह लगातार ऊपर उठती रहती है। यह वाष्पयुक्त गर्म हवा तब तक ऊपर बढ़ती है जब तक ऊपर मौजूद ठंडी हवा से टकरा न जाए।
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जिस जगह यह दोनों हवा टकराती हैं, वहां वाष्पयुक्त गर्म हवा इकट्ठा होने लगती है और गहरे धुंए जैसी दिखाई देता है, जिसे हम बादल के रूप में जानते हैं।
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ध्यान दें वाष्पयुक्त गर्म हवा जब एक जगह इकट्ठा होती है, तो वहां पानी की बूंदे यानी वाटर ड्रॉपलेट्स आपस में अपने आप नहीं मिलते हैं।
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लेकिन जैसी ही वाटर ड्रॉपलेट्स धूल, धुएं या हवा के साथ उड़ने वाली मिट्टी से होता है तो यह एक दूसरे के साथ मिलकर बड़े बड़े ड्रॉपलेट्स में बदल जाता है।
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इसके बाद ग्रेविटी की वजह से यह जमी पर गिरना शुरू हो जाते हैं।
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बादल में पानी की बूंदे भरती चली जाती हैं। जब ये बूंदें बड़ी हो जाती हैं, तो वे इतनी भारी हो जाती हैं कि बादल इन्हें रोक नहीं सकता है।
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ज्यादा मात्रा में पानी की बूंदे बनने से यह जमी पर गिरने लगती हैं। अब रही बात कि बादल उड़ते क्यों है तो बता दें, इनका घनत्व इतना कम होता है कि यह तैरते हुए नजर आते हैं।
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