Jan 22, 2024
अक्सर लोग डीएम और कलेक्टर के बीच अंतर को लेकर कंफ्यूज रहते हैं।
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इन दोनों ही पदों पर पहुंचने के लिए सबसे पहले अभ्यर्थियों को यूपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई करना होता है।
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संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। इसके लिए अभ्यर्थियों को प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू क्वालीफाई करना होता है।
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यहां हम आपको डीएम और कलेक्टर के बीच अंतर बताएंगे।
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डीएम का फुलफॉर्म डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होता है। यह एक भारतीय सेवा का प्रशासनिक अधिकारी होते हैं।
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डीएम को उनकी कार्यशक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC), 1973 से मिलती है।
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वहीं जिले स्तर पर राजस्व प्रबंधन से जुड़ा सबसे बड़ा अधिकारी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर होता है।
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राजस्व मामलों में वह संभागीय आयुक्त और वित्तीय आयुक्त के माध्यम से सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है।
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डीएम की सैलरी प्रतिमाह 1 लाख से 1.5 लाख रुपये होती है। इसके अलावा इन्हें बंगला, गाड़ी और सुरक्षा दी जाती है।
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