Jul 25, 2024
भारत की न्यायिक व्यवस्था में जिला स्तर पर जज और मजिस्ट्रेट कार्य करते हैं।
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क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है और कौन सा पद ज्यादा पावरफुल है।
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जिले के जज, उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। ये हत्या, चोरी, डकैती, पिक-पॉकेटिंग और ऐसे अन्य मामलों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर सकते हैं। सत्र न्यायाधीश या अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कानून द्वारा अधिकृत किसी भी सजा को पारित कर सकते हैं।
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जिला जज बनने के लिये आपके पास लॉ में स्नातक की डिग्री होनी आवश्यक है। इसके साथ ही आपके पास वकालत करने का सात वर्ष का अनुभव होना जरूरी है।
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जज की 56100 रुपये शुरुआती सैलरी है। 9537 रुपये महंगाई भत्ता 70000 रुपये सकल वेतन सिविल जज का वार्षिक वेतन 65000 रुपये है।
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वहीं, मजिस्ट्रेट के लेवल में भी कई स्तर होते हैं। इनमें जो सबसे ऊपर का पद होता है, वो होता है सीजेएम यानी चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट। एक जिले में एक सीजेएम होता है।
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जिला मजिस्ट्रेट का मुख्य कार्य सामान्य प्रशासन का निरीक्षण करना, भूमि राजस्व वसूलना और जिले में कानून-व्यवस्था को बनाए रखना है। यह राजस्व संगठनों का प्रमुख होता है।
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कोई भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मृत्यु दंड और आजीवन कारावास नहीं दे सकता। ये ऐसा दंड नहीं दे सकते जो 7 साल से ज्यादा की कारावास की अवधि का है।
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कोई भी छात्र लॉ की डिग्री लेने के बाद सीधे PCS-J यानी प्रोविंशियल सिविल सर्विस (ज्यूडिशियल) के एग्जाम में पास होकर मजिस्ट्रेट बन सकता है।
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