Nov 28, 2023
यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस बनते हैं।
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आईएएस ही डीएम और कलेक्टर होते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि डीएम और कलेक्टर में क्या अंतर है।
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डीएम और कलेक्टर आईएएस अधिकारी होते हैं, जो सिविल सेवा पास करने के बाद बनते हैं।
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डीएम जिले का मुखिया होता है। डीएम को उनकी कार्यशक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 से मिलती है।
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जबकि एक कलेक्टर को भूमि राजस्व संहिता (Land Revenue Code), 1959 से मिलती है।
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डीएम जिले के सामान्य प्रशासन के सबसे वरिष्ठ कार्यकारी मजिस्ट्रेट और मुख्य प्रभारी होते हैं।
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जिला स्तर पर राजस्व प्रबंधन से जुड़ा सबसे बड़ा अधिकारी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ही होता है। राजस्व मामलों में वह संभागीय आयुक्त और वित्तीय आयुक्त (राजस्व) के माध्यम से सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है।
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डीएम की सैलरी 1 लाख से 1.5 लाख रुपए प्रति महीने होती है. इसके अलावा इन्हें बंगला, गाड़ी, सुरक्षा गार्ड, मेडिकल, फोन आदि की सुविधा भी मिलती है।
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जिला कलेक्टर की सैलरी वैसे तो 80 हजार के करीब होती है लेकिन वह कैबिनेट सचिव के पद पर पहुंच जाता है तो उसकी सैलरी 2,50,000 रुपये प्रतिमाह पहुंच जाती है।
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