गांव में तोड़ते थे पत्थर, फटे कपड़ों में जाते थे स्कूल, UPSC क्रैक कर रचा इतिहास

Kuldeep Raghav

May 4, 2024

मिलिए राम भजन से

राजस्थान के दौसा जिले के बापी के बापी में एक सितंबर 1988 को जन्मे राम भजन कुमार की कहानी काफी मार्मिक है।

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ऐसा रहा सफर

राम भजन कुमार ने ने गांव में चूना पत्थर तोड़ने से लेकर दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल बनने और फिर यूपीएससी परीक्षा क्रैक करने तक का सफर तय किया है।

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गांव में तोड़ते थे पत्थर

राम भजन ने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी हासिल कर ली। वह अपनी मां के साथ बापी इंडस्ट्रियल एरिया में चूना पत्थर तोड़ने लगे।

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मिलते थे 10 रुपये

वह साल 2003 तक चूना पत्थर तोड़ने का काम करते थे। इसके बदले उन्हें 25 टोकरी चूना पत्थर तोड़ने पर 10 रुपये मिलते थे।

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फटे कपड़ों में स्कूल

राम भजन कुमार ने दौसा के सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएशन की है। इससे पहले उनकी स्कूलिंंग गांव से हुई। वह फटे कपड़ों में स्कूल जाते थे।

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दिल्ली पुलिस की नौकरी

साल 2009 में वह सेकेंड ईयर में थे तो दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई। इसके बाद वह साल 2022 में हेड कांस्टेबल बने।

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यूपीएससी में 7 बार फेल

राम भजन कुमार ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी 2015 में शुरू की लेकिन 7 बार उन्हें सफलता नहीं मिली।

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8वें प्रयास में 667वीं रैंक

इसके बार 8वें प्रयास में साल 2022 की परीक्षा में उन्हें 667वीं रैंक मिली। भजन राम कुमार की यूपीएससी रैंक के अनुसार उन्हें इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस की पोस्ट मिली है।

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पिता का हुआ निधन

उनके पिता बकरियों का दूध बेचते थे और कोविड में उनका निधन हो गया था। इसके बाद भी राम भजन का हौसला नहीं टूटा। गरीबी का आलम ये था कि सुबह की रोटी के बाद शाम के खाने का इंतजाम नहीं हो पाता था।

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