Jan 18, 2024
भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कभी भी कहीं भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। माता पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए अपने सभी कर्तव्य निभाएं। भगवान राम के विचारों को अपनाने से व्यक्ति हर परेशानी से छुटकारा पा लेता है।
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जिनके मन में सदैव दूसरे का हित करने की अभिलाषा रहती है। अथवा जो सदा दूसरों की सहायता करने में लगे रहते हैं, उनके लिए संपूर्ण जगत में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।
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व्यक्ति सामने ना होने पर भी नाम से उसको जाना जा सकता है, परंतु नाम के बिना व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकती।
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क्रोध हमारा शत्रु है और हमारे जीवन का अंत करने में समर्थ है। क्रोध हमारा ऐसा शत्रु है, जिसका चेहरा हमारे मित्र जैसा लगता है। क्रोध एक तलवार की तेज धार की भांति है, क्रोध हमारा सब कुछ नष्ट कर सकता है।
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चरित्रहीन व्यक्ति की मित्रता उस पानी की बूंद की भांति होती है, जो कमल फूल की पत्ती पर होते हुए भी उससे चिपक नहीं सकती।
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अपने जीवन का अंत कर देने में कोई अच्छाई नहीं होती सुख और आनंद का रास्ता जीवन से ही निकलता है।
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बिना पानी के बादलों के गरजने से बरसात नहीं होती। सच्चे वीर और बलवान फालतू में नहीं दहाड़ थे, वे युद्ध में अपना शौर्य दिखाते हैं।
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अयोध्या में दशरथ के घर जन्म लेने वाले भगवान राम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना गया है।
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भगवान राम ने वेदों और मर्यादा का पालन करते हुए सुखी राज्य की स्थापना की। सहनशील व धैर्यवान भगवान राम का सबसे सर्वश्रेष्ठ गुण है।
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