Dec 23, 2023
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मनुष्य को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े।
मेरे पास न तो दादा की दौलत है और न ही पिता की संपत्ति, मेरे पास सिर्फ मेरी मां का आशीर्वाद है, जो इन सबसे बहुत बड़ा है।
सेवा-कार्यों की उम्मीद सरकार से नहीं की जा सकती। उसके लिए समाज-सेवी संस्थाओं को ही आगे उगना पड़ेगा।
अस्पृश्यता कानून के विरुद्ध ही नहीं, बल्कि परमात्मा तथा मानवता के विरुद्ध भी एक गंभीर अपराध है।
छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।
परमात्मा भी आकर कहे कि छुआछूत मानो, तो मैं ऐसे परमात्मा को भी मानने को तैयार नहीं हूं, लेकिन परमात्मा ऐसा कर ही नहीं सकता।
जीवन को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता, उसका ‘पूर्णता’ में ही विचार किया जाना चाहिए।
मानव और मानव के बीच में जो भेद की दीवार खड़ी है, उनको ढहाना होगा और इसके लिए एक राष्ट्रीय अभियान की आवश्यकता है।
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