Feb 1, 2024
क्या आपने कभी पनीर वाले गांव के बारे में सुना है। आज हम इसी जगह के बारे में आपको बताएंगे।
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इस गांव में रहने वाले सभी परिवार पनीर बनाकर उसे बेचते हैं। जिसके कारण यह गांव पनीर विलेज के नाम से फेमस है।
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इस गांव में पनीर का काम करने की शुरुआत सबसे पहले 1980 में हुई थी।
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1980 में यहां पर पनीर 5 रुपये प्रति किलो दाम में बिकता था। उस समय कम लोग पनीर के बारे में जानते थे।
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कहा जाता है कि इस गांव में एक भी व्यक्ति पलायन करके नहीं गया है, जो लोग गए थे वो कोरोना के समय वापस आ गए।
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इस गांव में पनीर के काम और खेती-बाड़ी से लोगों की आजीविका चलती है।
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यह गांव उत्तराखंड में स्थित है, जिसका नाम रौतू की बेली है। यहां का पनीर शुद्ध और सस्ता है जिसके कारण काफी बिकता है।
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इस गांव से पनीर को सबसे पहले मसूरी के बड़े स्कूलों में भेजा जाता था, क्योंकि उस समय पनीर के बारे में लोगों को ज्यादा नहीं पता था।
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आज यह देहरादून और उत्तरकाशी में भी भेजा जाता है। इसके अलावा आसपास के गांव के लोग भी यहां से पनीर खरीदते हैं।
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