BJP के 'संकटमोचक' कैलाश विजयवर्गीय का पॉलिटिकल करियर, पढ़ें पूरी कुंडली

Shaswat Gupta

Oct 19, 2023

​भाजपा के संकटमोचक​

कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी के संकटमोचक माने जाते हैं। मध्यप्रदेश के मालवा में उन्‍होंने लंबे समय से भाजपा की जड़ों को मजबूत किया हुआ है।

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​फायरब्रांड नेता​

कहने को तो भाजपा में नरेन्‍द्र मोदी, योगी आदित्‍यनाथ, अमित शाह, राजनाथ सिंह, हिमंता बिस्‍वा सरमा जैसे कई फायरब्रांड नेता हैं। लेकिन कैलाश विजयवर्गीय भी कुछ कम नहीं हैं, उनके राजनीति के स्‍टाइल को लोग खूब पसंद करते हैं। यही वजह है कि एक दबंग छवि वाले जनप्रिय नेता माने जाते हैं।

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​लगातार जीते चुनाव​

ये कैलाश विजवर्गीय की लोकप्रियता ही थी कि 1990 से लगातार 2013 तक विधानसभा चुनाव लड़े और जीतते गए। इस दौरान एक बार भी उन्‍हें हार का सामना नहीं करना पड़ा।

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​भाजपा ने लगाया दांव​

मध्‍य प्रदेश में नवंबर 2023 में होने वाले चुनाव में भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय पर दांव लगाया है। पार्टी नेतृत्‍व ने उन्‍हें इंदौर 1 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ाने का फैसला लिया है।

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​नाखुश हैं विजयवर्गीय​

हालांकि टिकट मिलने के बाद कैलाश विजयवर्गीय के कई बयान सामने आए जिसमें कि वे नाखुश नजर आ रहे हैं। उन्‍होंने एक सभा में यहां तक कह दिया था कि, वे चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते थे।

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​इनसे होगा मुकाबला​

भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर 1 सीट से मैदान में उतारा है। वर्तमान में यहां से कांग्रेस के संजय शुक्ला विधायक हैं। कांग्रेस ने इस बार भी इस सीट से संजय शुक्ला को ही उतारा है, जिनकी इंदौर-1 पारंपरिक सीट है। बहरहाल अब एक नजर डालते हैं कैलाश विजयवर्गीय के पॉलिटिकल करियर पर:

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​सियासी सफर​

कैलाश विजयवर्गीय का पॉलिटिकल करियर 1975 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू हुआ। इसके बाद 1983 में वे पहली बार पार्षद बने, इंदौर 4 सीट से 1990 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए।

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​लगातार बने विधायक​

कैलाश विजयवर्गीय को 1993 और 1998 में एमपी की इंदौर 2 विधानसभा सीट से टिकट मिला और वे विधाय​क बने। तत्‍पश्‍चात 2000 में उन्‍हें इंदौर शहर का महापौर बनने का मौका मिला। जिसके बाद 2008 में महू सीट से जीतकर वे एक और बार विधायक बने। 2013 में महू सीट से जीतने के बाद उन्‍होंने शिवराज कैबिनेट में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली।

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​टर्निंग प्‍वाइंट बना 2015​

कैलाश विजयवर्गीय के लिए 2015 एक टर्निंग प्‍वांइट बना। क्‍योंकि ये ही वो साल था जब भाजपा ने उन्‍हें बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया और बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी। उसके बाद उन्‍हें भाजपा ने पश्चिम बंगाल भी भेजा।

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