Oct 7, 2023
भारत को आजाद करने में देश के कई क्रांतिकारियों को जान कुर्बान करनी पड़ी और कईयों ने अंग्रेजी हुकूमत को नाक के चने चबवा दिए।
Credit: Social-Media
आज इस स्टोरी में ऐसे 52 क्रांतिकारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जुल्मी गोरों ने एक साथ फांसी के फंदे से लटका दिया।
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बात करीब 1857 की है जब देश के नायकों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता का पहला बिगुल फूंक था। फिर देश भर में स्वाधीनता पाने की ज्वाला भड़क गई।
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गोरिल्ला युद्ध में माहिर पेशवा नाना राव और तात्या टोपे जैसे महानायकों के अलावा देश के कोने-कोने से वीरे सिपाही आजाद भारत के लिए अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे।
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इस क्रांति में यूपी के फतेहपुर जिले के जोधा सिंह अटैया और ठाकुर दरियाव सिंह के साथ बड़ी संख्या में क्रांतिकारी कई अंग्रेजी सैनिकों को मार चुके थे।
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इस बात से गुस्साए कर्नल क्रस्टाइज की घुड़सवार सेना ने 28 अप्रैल 1858 को जोधा सिंह और उनके 51 क्रांतिकारी साथियों को बंदी बना लिया था।
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और उसी दिन कर्नल क्रस्टाइज ने बिंदकी के नजदीक खजुहा स्थित इमली के पेड़ से जोधा सिंह और उनके 51 साथियों को एक साथ फांसी के फंदे से लटका दिया।
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कहते हैं अंग्रेजों की धमकी के आगे किसी ने इन शवों को नहीं उतारा। करीब एक महीने तक इमली के पेड़ से सभी 52 कंकाल लटके रहे और अंतिम संस्कार की राह देखते रहे।
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लेकिन, अमर शहीद जोधा सिंह के साथी ठाकुर महाराज सिंह ने अपने 900 क्रांतिकारियों के साथ 3-4 जून 1858 की रात को सभी कंकालों को पेड़ से उतारकर शिवराजपुर गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया था।
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