Aug 19, 2023
भारत का धार्मिक इतिहास हजारों-लाखों साल पुराना है। यहां की भारतीय संस्कृति और वेद-पुराणों का लोहा आज भी पूरी दुनिया मानती है।
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सनातनी परंपरा का निर्वहन कर रहे भारत में आपको असंख्य मंदिर देखने को मिलेंगे, जिनमें से हर किसी का कोई न कोई इतिहास व उनसे जुड़ी मान्यता जरूर है।
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असंख्य मंदिरों में से एक मंदिर भारत में ऐसा है जिसके शीर्ष पर त्रिशूल नहीं बल्कि पंचशूल स्थापित है। इसके बारे में क्या आप जानते हैं ?
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हम बात कर रहे हैं द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर के बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की, जिसका इतिहास करीब हजारों साल पुराना बताया जाता है।
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आमतौर पर आपने शिवालयों के शिखर पर त्रिशूल देखा होगा, लेकिन बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर लगे स्वर्ण कलश पर पंचशूल स्थापित है। इसीलिए ये मंदिर दुनिया का इकलौता और अनोखा मंदिर है।
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मंदिर के पुजारी बताते हैं कि, पंचशूल पांच तत्व से बना है पृथ्वी, जल, पावक (आग), आकाश और वायु। जबकि त्रिशूल में तीन तत्व हैं- वायु, जल और अग्नि।
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कुछ लोगों की मान्यता है कि, बैद्यनाथ धाम की रक्षा के लिए रावण ने ही यहां पर पंचशूल की स्थापना की थी। वैसा ही पंचशूल रावण ने लंका की रक्षा के लिए भी चारों ओर लगाया था।
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मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल को केवल महाशिवरात्रि पर उतारकर उसकी पूजा की जाती है। इसके साथ ही परिसर में मौजूद शिव-पार्वती के मंदिर के ऊपर बंधे बंधन को खोलकर नया गठबंधन किया जाता है।
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बैद्यनाथ मंदिर में श्रावण मास पर लाखों भक्तों की भीड़ देखने केा मिलती है, जो कि बाबा का जलाभिषेक कर पूजन-अर्चन करने के लिए यहां आते हैं।
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