Apr 24, 2024
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जी, हां ऐसा ही एक किला है जो 3 रानियों के जौहर का प्रतीक है। इनमें से एक में रानी के साथ 13000 दासियों ने जौहर कर लिया था।
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जी,हां चित्तौड़गढ़ स्थिल किले में सात दरवाजे हैं, माना जाता है मौर्यवंशीय राजा चित्रांगद ने सातवीं शताब्दी में इसे बनावाया था।
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रावल सिंह रतन सिंह के शासन काल में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान 1303ई. में रानी पद्मावती ने हजारों क्षत्राणियों के साथ चित्तौड़गढ़ किले पर पहला जौहर किया था।
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वहीं, राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में 1534ई. में गुजरात के शासक बहादुर शाह के आक्रमण के समय रानी कर्णवती ने अपनी 13 हजार दासियों के साथ दूसरा जौहर किया था।
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जबकि, तीसरा जौहर राणा उदय सिंह के शासन में अकबर के आक्रमण के समय 1568ई में पत्ता सिसौदिया की पत्नी फूल कंवर के नेतृत्व में हुआ।
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जौहर पुराने समय में भारत में स्त्रियों द्वारा की जाने वाली एक भयावह क्रिया थी। जब युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी तो पुरुष मृत्यपर्यन्त युद्ध के लिए तैयार होकर वीरगति को प्राप्त करने के लिए निकल जाते थे। उधर, पति की वीरगति के बाद स्त्रियां जौहर कर लेती थीं यानी जौहर कुंड में आग लगाकर खुद उसमें कूदकर मृत्यु को प्राप्त कर लेती थीं।
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