Jun 28, 2024
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 की छत का एक हिस्सा गिरने से हादसे में चार लोग बुरी तरह से घायल हो गए, जिसमें से एक व्यक्ति ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। यह दुर्घटना शुक्रवार 28 जून की सुबह करीब 5.30 बजे हुई।
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आज का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पूर्व में एयरफोर्स स्टेशन था। दूसरे विश्व युद्ध के समय इस एयरपोर्ट को बनाया गया था। यह हवाई अड्डा लंबे समय तक भारतीय वायु सेना को अपनी सेवाएं देता रहा।
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साल 1962 में इस एयरफोर्स स्टेशन को नागरिक हवाई अड्डे में बदला गया। उस समय इसको पालम एयरपोर्ट कहा जाता था। दिल्ली के पहले सफदरजंग एयरपोर्ट से ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए पालम में यह एयरपोर्ट बनाया गया था।
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बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए 1970-80 के दशक में यहां एक और टर्मिनल बनाया गया, जिसका 2 मई 1986 को उद्घाटन हुआ। इसी टर्मिनल-2 से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित की जाने लगी।
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पुराने पालम एयरपोर्ट टर्मिनल को अब टर्मिनल-1 के नाम से जाना जाता है, जहां से डॉमेस्टिक उड़ाने संचालित होती हैं। 28 जून को हुआ हादसा इसी टर्मिनल पर हुआ।
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साल 1986 में जब पालम एयरपोर्ट पर एक नए अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल (टर्मिनल-2) का उद्घाटन हुआ, उसी समय इस एयरपोर्ट का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट कर दिया गया।
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इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट डेली फ्लाइट ट्रैफिक के मामले में देश का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है, जबकि पैसेंजर ट्रैफिक के मामले में मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाद दूसरे नंबर पर है।
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3 जुलाई 2010 में टर्मिनल-3 बनने के बाद इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भारत और दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण हवाई अड्डा बन गया। यह टर्मिनल हर साल 3.4 करोड़ यात्रियों को सेवाएं दे सकता है।
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