Oct 14, 2023
असम में गुवाहाटी के नीलांचल पर्वत पर कामाख्या मंदिर स्थित है।
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यहां दुर्गा पूजा का उत्सव 9 दिन नहीं 15 दिनों तक चलता है, इस कारण इसे पखुआ पूजा भी कहते है।
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कामाख्या मंदिर में दुर्गा पूजा का उत्सव कृष्ण नवमी से शुरू होकर शुक्ल पक्ष नवमी के दिन समाप्त होता है।
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मंदिर में नवरात्रि से दुर्गा पूजा के साथ ही कुमारी पूजा भी शुरू हो जाती है। कुमारी पूजा हर साल नवरात्रि के पहले दिन से ही शुरू हो जाती है।
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कुमारी पूजा में पहले दिन एक कुमारी, दूसरे दिन दो, तीसरे दिन दिन तीन, इसी तरह कुल 45 कुमारियों की देवी के रूप में पूजा होती है। इसमें पांच साल की बच्चियों की पूजा भगवती कुमारी के रूप में की जाती है।
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कामाख्या मंदिर की पूजा विधि हजारों साल पुरानी है, जिसका आज भी पालन होता है। कोरोना काल में भी यहां पूजा कभी नहीं रुकी।
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कामाख्या मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसे महापीठ का दर्जा भी हासिल है।
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इस मंदिर में मां दुर्गा और मां जगदंबा की कोई मूर्ति नहीं है, भक्त यहां बने एक कुंड पर फूल अर्पित कर पूजा करते हैं।
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नवरात्रि में बाहर से बहुत से लोग यहां चंडी पाठ करने आते हैं।
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