Aug 23, 2023
भारत ने चंद्रयान-3 ने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है और अब 23 अगस्त का इंतजार है। इस दिन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग होगी।
Credit: ISRO
इसरो ने गुरुवार दोपहर चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग कर दिया। अब यह चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा।
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लेकिन इतनी बड़ी कामयाबी तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा, शुरू में एक ऐसा भी दौर था जब रॉकेट लॉन्चर को साइकिल से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जाता था।
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सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए भारतीय स्पेस प्रोग्राम के लिए 12,543.91 करोड़ रुपये अवांटित किए हैं, इसके बावजूद यह अमेरिका, चीन के मुकाबले बहुत कम है।
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1977 में जब सतीश धवन इसरो के प्रमुख बने तो उन्हें पता था कि यदि भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी में दूसरे देशों से आगे जाना है तो इसके लिए ज्यादा पैसों की जरूरत होगी इसलिए उन्होंने कई बार सिर्फ 1 रुपये की सैलरी ली ताकि ये पैसे संस्थान में खर्च हो सकें।
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एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में वैश्विक तौर पर अंतरिक्ष क्षेत्र का मार्केट साइज 447 बिलियन डॉलर था और 2025 तक इसके 600 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
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EY रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र का मार्केट साइज 9.6 बिलियन डॉलर था, जो देश की जीडीपी का 0.5 फीसदी था।
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22 अप्रैल 2020 के अंत तक 5,465 उपग्रहों में से, अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे अधिक 63 प्रतिशत है। इसके बाद चीन -10 प्रतिशत,रूस- तीन प्रतिशत और अन्य का हिस्सा 24 प्रतिशत है।
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2021 में भारत सरकार ने कहा था कि देश में लगभग 53 ऑपरेशनल सेटेलाइट हैं जिनमें संचार/नेविगेशन/पृथ्वी ऑब्जर्वेशन और साइंस की सेटेलाइट शामिल हैं।
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