Nov 10, 2023
क्लाउड आर्टिफिशियल को क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है जिसकी खोज केमिस्ट विंसेंट जे. शेफर ने की थी और पहली बार आर्टिफिशियल बारिश कराई थी।
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शेफर ने 1946 में पहला बर्फीला तूफान बनाने और वर्षा कराने को लेकर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया। वह जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी में काम करते थे।
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इसके जरिए क्लाउड सीडिंग सूखे से लड़ सकती है, तूफानों को नियंत्रित कर सकती है, ओलावृष्टि को कम कर सकती है, जंगल की आग को बुझा सकती है।
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भारत में महाराष्ट्र में साल 2015 में 1300 एमएम बारिश कराई गई थी, उस वक्त 27 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। उसके बाद 2019 में 30 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
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एक लीटर बारिश कराने की कीमत करीब 18 पैसे आती है। लेकिन बेहतर एयरक्रॉफ्ट के साथ यह आधी हो जाती है।
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दुनिया में साल 2031 तक कृत्रिम बारिश का बाजार 192 मिलियन डॉलर का होने का अनुमान है।
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भारत में मयावमी, कयाथी क्लाइमेट मॉडिफिकेशन, अग्नि एयरो स्पोर्ट्स जैसी कंपनियां कृत्रिम बारिश के बिजनेस में हैं।
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अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया,चीन, भारत सबसे तेजी से बढ़ते बाजार हैं।
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