Oct 13, 2024
सूरत के मिनी बाजार, चोकसी बाजार और महिधरपुरा हीरा बाजार के हीरा व्यापार केंद्रों में "मंदी" हर किसी की जुबान पर है।
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हीरा पॉलिश करने वालों को नौकरी छूटने या काम के घंटों में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
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इसके पीछे की वजह रूस-यूक्रेन और पश्चिम एशिया में युद्धों को दोषी ठहराया जा रहा है।
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सूरत के हीरा उद्योग में करीब दस लाख लोग काम करते हैं। शहर में करीब 4,000 हीरा कारखाने हैं और 10,000 हीरा व्यापारियों और 2,000 दलालों का व्यापक नेटवर्क है। सोर्स-ईटी
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शहर वैश्विक हीरा निर्यात में लगभग एक तिहाई का योगदान देता है। भावनगर, राजकोट, अमरेली और अहमदाबाद जैसे गुजरात के अन्य इलाके भी हीरों की कटाई और पॉलिश के पारंपरिक केंद्र हैं।
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ईटी की रिपोर्ट के रिपोर्ट के मुताबिक पिछली दिवाली तक पॉलिशिंग से हर महीने 40,000-50,000 रुपये मिलते थे। लेकिन अब मजदूरी घट कर जून तक सिर्फ 15,000 रुपये हो गई है।
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कच्चे हीरों के अडजस्ट करने के बाद, शुद्ध आयात 25% घटकर $17.5 बिलियन से $13 बिलियन (1,09,200 करोड़ रुपये) हो गया, जो भारत में हीरे के प्रोसेसिंग की घटती मांग को बताता है।सोर्स-ईटी
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