Feb 3, 2024
ट्रेनों को आपस में टकराने से बचाने के लिए रेलवे कवच सिस्टम लगा रही है।
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कवच में रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस ट्रेन, ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है।
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कवच के लिए सरकार ने कुल 798.98 करोड़ रुपये अलॉट किए जिसमें से अब तक 321.85 करोड़ रुपये लगाए जा चुके हैं।
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भारतीय रेलवे 2002 से टक्कर रोधी उपकरण (एसीडी) का उपयोग कर रहा है। ACD प्रणाली का आविष्कार कोंकण रेलवे के पूर्व प्रमुख राजाराम बोज्जी ने किया था।
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2012 में, भारतीय रेलवे ने कवच प्रणाली विकसित करना शुरू किया, जो एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है। कवच का विकास 2022 में पूरा हुआ।
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वर्तमान में तीन कंपनियां कवच सिस्टम बनाती है, जिनमें कर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स, एचबीएल पावर सिस्टम्स और मेधा सर्वो शामिल हैं।
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इनमें कर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स (Kernex Microsystems), एचबीएल पावर सिस्टम्स लिस्टेड कंपनियां हैं।
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हालांकि ये तीनों कंपनियां कवच का निर्माण अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) की देखरेख में करते हैं।
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