Aug 5, 2023
अखंड भारत के सबसे ताकतवर- अमीर सम्राट में विक्रमादित्य का नाम सबसे पहले लिया जाता है। इन्हें चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है।
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विक्रमादित्य अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे। जिनके दरबार में नवरत्न रहते थे। नौ रत्न रखने की परंपरा की शुरुआत उन्होंने ही की थी।
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महाकवि कालिदास की पुस्तक ज्योतिर्विदभरण के मुताबिक उनके पास 3 करोड़ सैनिक, 10 करोड़ वाहन, 25 हजार हाथी और 4000 समुद्री जहाजों की एक सेना थी।
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विक्रम संवत अनुसार अवंतिका (उज्जैन) के महाराजाधिराज राजा विक्रमादित्य आज से 2294 वर्ष पूर्व हुए थे।
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बृहत्कथा में राजा विक्रमादित्य से सम्बंधित विभिन प्रकार की गौरवशाली गाथाएं शामिल है। इसमें सबसे प्रसिद्ध कथा राजा विक्रमादित्य के न्याय को लेकर है।
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उनके ही नाम से वर्तमान में भारत में विक्रम संवत प्रचलित है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के बाद समुद्रगुप्त के पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय हुए जिन्हें चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य कहा गया।
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राजा विक्रमादित्य की गौरव गाथाएं – बृहत्कथा, बेताल पच्चीसी एवं सिंहासन बतीसी नीतिकथा ग्रंथो में संकलित है।
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भारतवर्ष की सबसे प्रसिद्ध कथाओ में शुमार बेताल पच्चीसी राजा विक्रमादित्य की न्याय-शक्ति का बोध कराने वाली नैतिक कथाएं हैं। इस कथा संग्रह में कुल पच्चीस कहानियां हैं जिसके कारण इसका नाम बेताल पच्चीसी यानी पिचाश की पच्चीस कहानियां पड़ा है।
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