Aug 10, 2023
भारत में मुगलों की हुकूमत 1526 से 1857 तक रही। उस दौरान ट्रेड, बैंकिंग, बीमा और क्रेडिट सिस्टम का विस्तार हुआ
Credit: iStock
मुगलों के दौर में सर्राफों (मनी चेंजर) की भूमिका बहुत अहम थी, जिनके पास लोग अपना पैसा जमा करते थे
Credit: iStock
जरूरत पड़ने पर लोग अपना पैसा इन सर्राफों से वापस ले लिया करते थे
Credit: Facebook
खास बात यह है कि जमाकर्ताओं को इन जमा पैसों पर सर्राफों से ब्याज मिलता था
Credit: Twitter
रिपोर्ट्स के अनुसार 1630 में सूरत में सर्राफों की तरफ से जमा पैसों पर 9.5 फीसदी सालाना ब्याज दिया जाता था
Credit: Twitter
वहीं 1645 में आगरा में भी 9.5 फीसदी सालाना ब्याज दर लागू होने का जिक्र मिलता है
Credit: Twitter
9.5% से 8 साल में पैसा डबल हो जाता, जबकि आज बैंक करीब 7.5% ब्याज दे रहे हैं, जिससे पैसा डबल होने में 10 साल लगेंगे
Credit: iStock
समय-समय पर इन ब्याज दरों में बदलाव भी किया जाता था। लोग इन सर्राफों से ऊंची ब्याज दरों पर लोन भी लेते थे
Credit: iStock
इतिहास में इन सर्राफों की ईमानदारी की भी चर्चा मिलती है, क्योंकि अजनबी भी इनके पास पैसा जमा करते थे
Credit: Twitter/iStock
सर्राफों से किसान खेती के लिए और जमींदार खर्च चलाने के लिए लोन लेते थे, जो छोटी अवधि के लिए होता था
Credit: Facebook
कारोबार बढ़ने से इन सर्राफों की ओर अधिक लोग आकर्षित हुए और पैसों के लेन-देन के चलते इनकी अहमियत बढ़ती गई
Credit: Twitter
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स