मुगलों के दौर में जल्दी डबल होता था पैसा, ऐसे काम करते थे 'बैंक'

Kashid Hussain

Aug 10, 2023

​मुगलों की हुकूमत​

भारत में मुगलों की हुकूमत 1526 से 1857 तक रही। उस दौरान ट्रेड, बैंकिंग, बीमा और क्रेडिट सिस्टम का विस्तार हुआ

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​सर्राफों की भूमिका​

मुगलों के दौर में सर्राफों (मनी चेंजर) की भूमिका बहुत अहम थी, जिनके पास लोग अपना पैसा जमा करते थे

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​सर्राफों से लेन-देन​

जरूरत पड़ने पर लोग अपना पैसा इन सर्राफों से वापस ले लिया करते थे

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​ब्याज मिलता था​

खास बात यह है कि जमाकर्ताओं को इन जमा पैसों पर सर्राफों से ब्याज मिलता था

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​9.5 फीसदी सालाना ब्याज​

रिपोर्ट्स के अनुसार 1630 में सूरत में सर्राफों की तरफ से जमा पैसों पर 9.5 फीसदी सालाना ब्याज दिया जाता था

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​आगरा में ब्याज दर​

वहीं 1645 में आगरा में भी 9.5 फीसदी सालाना ब्याज दर लागू होने का जिक्र मिलता है

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​8 साल में पैसा डबल​

9.5% से 8 साल में पैसा डबल हो जाता, जबकि आज बैंक करीब 7.5% ब्याज दे रहे हैं, जिससे पैसा डबल होने में 10 साल लगेंगे

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​ब्याज दरों में बदलाव​

समय-समय पर इन ब्याज दरों में बदलाव भी किया जाता था। लोग इन सर्राफों से ऊंची ब्याज दरों पर लोन भी लेते थे

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​सर्राफों की ईमानदारी ​

इतिहास में इन सर्राफों की ईमानदारी की भी चर्चा मिलती है, क्योंकि अजनबी भी इनके पास पैसा जमा करते थे

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​छोटी अवधि के लोन​

सर्राफों से किसान खेती के लिए और जमींदार खर्च चलाने के लिए लोन लेते थे, जो छोटी अवधि के लिए होता था

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​अधिक लोग आकर्षित हुए​

कारोबार बढ़ने से इन सर्राफों की ओर अधिक लोग आकर्षित हुए और पैसों के लेन-देन के चलते इनकी अहमियत बढ़ती गई

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