​इस शख्स ने गेहूं पर तोड़ था अमेरिकी गुरूर,कार की उस मीटिंग से बदली भारत की किस्मत

Prashant Srivastav

Sep 30, 2023

अमेरिका से आता था गेहूं

आजादी के समय भारत अपनी जरूरत के लिए अनाज नहीं पैदा कर पाता था। और उसे भारतीयों का पेट भरने के लिए अमेरिका से गेहूं मंगाना पड़ता था।

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अमेरिका लगाता था मनमाफिक शर्तें

खाद्यान्न में आत्मनिर्भर नहीं होने के कारण भारत को अमेरिका की काई बेजा शर्तें भी माननी पड़ती थी। इस बात का दवाब प्रधानमंत्री स्तर तक महसूस होता था।

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एम.एस. स्वामीनाथन ने दिया रोडमैप

इस जिल्लत से निकलने का IARI के प्रमुख एम.एस.स्वामीनाथन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रोडमैप पेश किया।

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कार में हुई मीटिंग से बदली किस्मत

उस वक्त एक सफर के दौरान इंदिरा गांधी ने साथ बैठे स्वामीनाथन से पूछा था कि क्या तुम कुछ वर्षों में एक करोड़ टन अतिरिक्त गेहूं उत्पादन का भरोसा दे सकते हो। स्वामीनाथन ने प्रधानमंत्री को हां में जवाब दिया।

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मैक्सिको से आया गेहूं

उसके स्वामीनाथन ने गेहूं में आत्मनिर्भर बनने के लिए मैक्सिको से करीब 18 हजार टन बीज मंगाए गए।

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और हो गया कमाल

उसके बाद पंजाब और आज के हरियाणा में किसानों को 5-5 किलोग्राम के सेट में गेहूं के बीज दिए गए। और पहली फसल में ही 50 लाख टन गेहूं का अतिरिक्त उत्पादन हो गया।

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देश को मिली एक और आजादी

इसके बाद भारत ने हरित क्रांति के जरिए खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली। आज भारत दुनिया का पेट भरता है।

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स्वामीनाथन का ऋृणी भारत

एम.स्वामीनाथ भले ही 98 साल में इस दुनिया से चल बसे, लेकिन भारत के लोग उनके अहसान के हमेशा ऋणी रहेंगे।

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