Apr 22, 2024
700 से 600 ईसा पूर्व भारत में पहली करंसी चलाने के साक्ष्य मिलते हैं। जिसे पंच मार्क कहा जाता था।
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इन करंसी पांच चिन्ह बने होते थे। इसलिए इसे पंच मार्क कहा जाता था। इसकी शुरूआत व्यापारियों ने की थी।
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पंम मार्क सिक्को पर इस तरह के चिन्ह बने होते थे।
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इनका इस्तेमाल बड़े व्यापार के लिए होता था। रोजाना खर्च के लिए बार्टर सिस्टम ही था। व्यापारियों के बाद इसे राज मुद्रा के रूप में महाजनपद काल में अपनाया गया।
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इन पंच मार्क करंसी का इस्तेमाल मौर्य साम्राज्य के उत्थान से पहले 16 महाजनपदों में किया जाता था। जो मुख्य रूप से चांदी की बनी होती थीं।
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हड़प्पा की सभ्यता महाजनपद काल से पहले की थीं। वहां पर मुहरें मिली हैं, लेकिन उनका करंसी के रूप में इस्तेमाल होता था कि नहीं इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।
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पंचा मार्क सिक्कों के अलावा इंडो-ग्रीक सिक्के भी प्रचलित रहे। हालांकि इनका इस्तेमाल सीमित क्षेत्र में था।
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मौर्य साम्राज्य के सिक्के प्रचलन में आने से से कुषाण काल के सिक्के भी प्रचलित रहे। जो कि भारत की प्राचीनतम करंसी में से एक हैं।
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