Aug 29, 2024

DALDA कभी था DA DA, फिर कहां से आया L, रोचक है स्टोरी

Ashish Kushwaha

​डालडा के दिलचस्प सफर के साथ इसके नाम की कहानी​

डालडा ने भारतीय बाजार पर 25-30 वर्षों तक राज किया। ऐसे में आज हम आपको डालडा के दिलचस्प सफर के साथ इसके नाम की कहानी के बारे में बता रहे हैं।

Credit: Twitter

​कब शुरू हुआ डालडा​

डालडा की शुरुआत कासिम दादा (Kassim Dada) नाम के व्यक्ति ने की थी। वह 1930 के दशक से पहले एक डच कंपनी से देसी घी या क्लैरिफाइड मक्खन के सस्ते विकल्प के रूप में वनस्पति घी का आयात करते थे।

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​देश में आयात किया जाता था डालडा​

1930 के दशक की शुरुआत तक भारत में उपलब्ध हाइड्रोजनेटेड वनस्पति घी, कासिम दादा और हिंदुस्तान वनस्पति मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (Hindustan Vanaspati Manufacturing Co.) द्वारा देश में आयात किया जाता था।

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​ कासिम दादा​

हिंदुस्तान वनस्पति को अब हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) कहा जाता है। कासिम दादा अपना आयातित उत्पाद 'दादा वनस्पति' के नाम से बेचते थे।

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​ यूनिलीवर के लीवर ब्रदर्स भी वनस्पति घी बनाना चाहते थे​

एक मुनाफे वाला बाजार होने की वजह से यूनिलीवर के लीवर ब्रदर्स भी वनस्पति स्थानीय स्तर पर हाइड्रोजनेटेड वनस्पति तेल का निर्माण शुरू करना चाहते थे।

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​कासिम दादा से 'Dada' बनाने के अधिकार खरीद लिए​

घरेलू वनस्पति घी बाजार में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए लीवर ब्रदर्स ने अपने हाइड्रोजनेटेड वनस्पति घी के लिए कासिम दादा से 'Dada' बनाने के अधिकार खरीद लिए।

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लीवर ब्रादर्स ने अपना नाम जोड़ने के लिए L लाया

अब यूनिलीवर को अपने पहचान इस प्रोडक्ट में छोड़नी थी तो उसने इसके लिए समाधान निकाला गया कि नाम के बीच में 'L' डाल दिया।

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​डालडा नाम वजूद में आया​

इस तरह डालडा नाम वजूद में आया। यदि इंग्लैंड के लीवर ब्रदर्स ने नाम में 'L' अक्षर डालने पर जोर नहीं दिया होता, तो शायद भारत का सबसे लोकप्रिय वनस्पति घी 'Dada' ही कहा जाता।

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