Jan 24, 2024
ठंड के मौसम में चाय पीने वालों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन भारत में हर मौसम में चाय पी जाती है।
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भारत में करीब 1350 मिलियन किलोग्राम चाय उत्पादन के साथ दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक और सबसे बड़ा काली चाय उत्पादक है।
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कैमोमाइल चाय की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है। क्योंकि यह चाय सबसे हेल्दी ड्रिंक में से एक है। कैमोमाइल एक हर्बल चाय है जो काफी लोकप्रिय है।
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कैमोमाइल मूल रूप से एक जड़ी बूटी है जो एक फूल है। यह चाय कैमोमाइल नामक फूलों की मदद से बनाई जाती है।
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कैमोमाइल चाय में पावरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसमें कैफीन नहीं होता है। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है इसलिए इसकी डिमांड है।
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कैमोमाइल एक अद्भूत यूरोपीय जड़ी बूटी है जो लाभ के साथ एक सुंदर फूल भी है।
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कैमोमाइल की खेती दो तरह से की जाती है। पहली सीधी बुआई, जिसमें बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं।
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कैमोमाइल चाय नर्सरी में भी तैयार की जाती है, इसके पौधों को बाद में खेत में लगाया जाता है।
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12000 रुपए की लागत से 1 एकड़ खेत में कैमोमाइल की खेती की जा सकती है।
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कैमोमाइल चाय से एक एकड़ में 1 से सवा लाख रुपए तक की कमाई हो रही है।
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देश में इसकी खेती अभी हाल ही में शुरू हुई है। लखनऊ-जोधपुर में इसके बीज मिल रहे हैं।
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कैमोमाइल पौधे की जड़ें उथली होने के कारण मिट्टी के निचले स्तरों से नमी सोखने में असमर्थ होती हैं। इसलिए इसकी फसल में लगातार सिंचाई की जरुरत होती है।
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कैमोमाइल के फूलों की पैदावार 3500 से 4000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।
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