Nov 30, 2023
पुराने समय में अमेरिका और यूरोप की दवा कंपनियों का बोलबाल था। यहां की कंपनियां मोटा मुनाफा कमा रहीं थी लेकिन सिप्ला के यूसुफ हमीद के तीन वादों ने तहलका मचा दिया।
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1981 में दुनिया को एक नई बीमारी के बारे में पता चला। नाम था एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम। यह रोग सबसे ज्यादा अफ्रीका में फैला।
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2000 में यूरोप में HIV कॉन्फ्रेंस हुई। इस कॉन्फ्रेंस में एक भारतीय भी थे। नाम था ख्वाजा हमीद के बेटे यूसुफ हमीद। उन्हें सिर्फ 3 मिनट दिया गया था। इन 3 मिनट में उन्होंने 3 वादे किए।
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वादों में पहला था कि सिप्ला सिर्फ 36,500 रुपए सलाना कीमत पर एड्स की दवाइयां बाजार में लाएगी। दूसरा, गरीब देशों दवा को बनाने का तरीका बताना और तीसरा मां से बच्चे में फैलने वाले एड्स की दवा कंपनी फ्री में देगी।
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यूसुफ हामिद सिप्ला के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष, भारतीय वैज्ञानिक और अरबपति बिजनेसमैन हैं। पिता ख्वाजा अब्दुल हमीद की मृत्यु के बाद, हामीद और उनके भाई मुस्तफा को जेनेरिक फार्मास्युटिकल दवा की कंपनी सिप्ला विरासत में मिली।
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साल 2000 तक अफ्रीका में सालाना हजारों लोगों की मौत एड्स से हो रही थी। अमेरिका और यूरोप इसकी दवाएं डेवलप कर ली थीं। लेकिन कीमत ज्यादा होने से अफ्रीका जैसे गरीब देश उसे खरीद नहीं पा रहे थे।
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1939 में दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा और भारत में बाहर से दवाओं के आने में मुश्किल होने लगी। यह सिप्ला के लिए किसी वरदान की तरह था। 1999 में सिप्ला ने जेनेरिक दवाओं की शुरुआत की।
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इसका रेवेन्यू 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। 2 लाख रुपए से शुरू हुई इस कंपनी के अब दुनियाभर में 47 जगहों पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं।
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सिप्ला, रेवेन्यू के हिसाब से भारत की तीसरी सबसे बड़ी दवा बनाने वाली कंपनी है। पहले नंबर पर सन फार्मा और दूसरे नंबर पर डॉ. रेड्डीज है।
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