Jun 27, 2023
बता दें कि ये बाइक्स और कारें सद्गुरु द्वारा खरीदी नहीं गई हैं, बल्कि देश-विदेश में मैजूद उनके शिष्यों द्वारा उन्हें तोहफे में दी गई हैं।
Credit: Twitter/Instagram
इनके पास जो भी बाइक्स या कारें हैं वो या तो उद्देष्य पूरा होने के बाद वापस कर दी जाती हैं, या उन्हें समाजसेवा के लिए नीलाम कर दिया जाता है।
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सद्गुरु के पास आने वाली ये सभी बाइक्स कुछ समय के लिए ही रहती हैं और उनके पास कारों और बाइक्स का कोई लग्जरी कलेक्शन नहीं है।
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रैली फॉर रिवर यात्रा के दौरान मर्सिडीज ने ये जोरदार एसयूवी उन्हें करीब 1 महीने के लिए टेस्ट ड्राइव करने को दी थी।
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सद्गुरु को बाइक्स चलाने का बहुत शौक है, लेकिन इनमें से सभी महंगी बाइक्स उन्हें या तो तोहफे में मिली है या इस्तेमाल के बाद उन्होंने वापस कर दी हैं।
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बहुत साधारण जीवन जीने वाले सद्गुरु के डिवोटीज उन्हेंं कई गाड़ियां देते हैं जिन्हें देखकर लगता है कि उनका कोई लग्जरी कार कलेक्शन है। लेकिन ये पूरी तरह निराधार है।
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समाजसेवा ही एक ऐसा काम है जिसपर सद्गुरु का पूरा ध्यान है और उन्हें अगर कोई बाइक गिफ्ट में मिलती भी है तो उसका ऑक्शन होता है।
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रास्ते के हिसाब से सुरक्षित यात्रा के लिए सद्गुरु अलग-अलग बाइक्स चलाते दिखते हैं, हालांकि उनके मालिकाना हक वाली बाइक यहां सिर्फ एक है।
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सेव सॉइल या ईशा फाउंडेशन का नाम आते ही आपके जहन में बेहतरीन बाइक्स चलाते सद्गुरु नजर आते होंगे क्योंकि ये सिर्फ उनका एक शौक है, ना कि कोई कलेक्शन तैयार करना।
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येज्डी 350 ही वो इकलौती बाइक है जो सद्गुरु की है, ये बाइक अब कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन में खड़ी हुई है।
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